नहीं रहे ग़ज़ल सम्राट पंकज उधास, प्रधानमंत्री समेत कई हस्तियों ने जताया शोक।
2006 में पद्मश्री से हुए थे सम्मानित।
राजीव रंजन की रिपोर्ट
– प्रथम गीत पर मिला था 51 रुपए का ईनाम।
– जानकारी अनुसार पैंक्रियाज कैंसर से थे पीड़ित।
– आज किया गया अंतिम संस्कार ।
17 मई 1951 को जेतपुर गुजरात में जन्मे व पद्मश्री से सम्मानित महान गजल गायक पंकज उधास चारण ने 26 फरवरी 2024 को मुंबई स्थित कैंडी अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली और दुनिया को अलविदा कह गए । जानकारी अनुसार वह पिछले कुछ महीने से बीमार चल रहे थे, वो पैंक्रियाज कैंसर बीमारी से ग्रसित थे । उनकी बेटी नायाब उधास ने सोशल मीडिया पोस्ट करके उनकी मौत की जानकारी दी। जानकारी अनुसार उनका अंतिम संस्कार मंगलवार को किया जाना है ।
गायक के निधन का समाचार मिलने से संगीत जगत व सिनेमा जगत में मातम छाया हुआ है। उनका यूं छोड़ जाना उनके चाहने वालों को गमगीन कर गया है।
उधास और उनका सफर –
पंकज उधास का संगीतीय सफर बहुत रोमांचक और उत्तेजक रहा है। उनका सफर एक साधारण परिवार से शुरू होता है और फिर उन्होंने संगीत के क्षेत्र में अपने प्रतिभा को पहचानने के लिए अद्वितीय रूप से कठिन परिश्रम किया। उनका संगीत उद्योग में प्रवेश और उनकी पहचान में मेहनत और संघर्ष का बड़ा हाथ रहा है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है, जैसे कि गायन, संगीतकारी, और गीतकारी। उनका सफर उनके उच्चतम दर्जे तक पहुंचने में उनके अथक प्रयासों और संघर्षों का परिणाम है।
पंकज उधास का परिवार संगीत से गहरा जुड़ा हुआ है। उनके पिता, नौमी उधास, भी एक प्रसिद्ध संगीतकार थे, और उन्होंने भी अपने करियर में कई सफल गीत बनाए। पंकज उधास के भाई, निर्मल उधास, भी एक प्रसिद्ध संगीतकार हैं और उन्होंने भी अपने संगीतीय प्रकल्पों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। इसके अलावा, उनका बहन, पूनम उधास, भी संगीत उद्योग में काम करती हैं। यह परिवार संगीत की दुनिया में एक प्रमुख स्थान रखता है और उनका संगठन और समर्थन उन्हें संगीत के क्षेत्र में उत्तमी तक पहुंचने में मदद करता है।
पंकज उधास का संगीत करियर बहुत उदार है और उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। वे एक प्रमुख गायक, संगीतकार, और गीतकार हैं जिन्होंने भारतीय संगीत उद्योग में अपनी अद्वितीय पहचान बनाई है। उनके कई लोकप्रिय और प्रसिद्ध गाने हैं, जो भारतीय संगीत के प्रेमियों के बीच अच्छे प्रतिस्पर्धी रहे हैं। उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी अनेक गाने गाए और संगीत संगीतकार के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनका संगीत कई लोगों के दिलों में बसा है और उन्हें भारतीय संगीत उद्योग की महत्वपूर्ण शख्सियतों में गिना जाता है। उनका करियर उनकी संगीतीय विविधता, गुणवत्ता और प्रतिभा का परिचय कराता है।
कैसे हुई करियर की शुरूआत
पंकज उधास के बड़े भाई मनहर उधास रंगमंच के अभिनेता हुआ करते थे। उन्हीं की रंगमंच में गायक के रूप में संगीत की दुनिया में इन्होंने अपना कदम रखा । भारत चीन युद्ध के दरमियां इन्होंने ‘ ए मेरे वतन के लोगों’ गीत गाया जो दर्शकों को काफी रास आया और इन्हें इनाम के तौर पर 51 रुपए मिले थे ।
पंकज उधास का पहला सम्मान उनके संगीत करियर की उच्चाधिकारियों द्वारा मान्यता प्राप्त करने का अवसर था। यह सम्मान उन्हें उनके गायन और संगीतीय प्रतिभा की मान्यता देने के लिए था। यह सम्मान उनके कौशल और प्रतिभा को पहचानने का प्रतीक था और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता था। यह एक ऐसा मौका था जिसने उन्हें संगीत के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने का अवसर प्रदान किया। यह सम्मान उनके करियर की शुरुआत में उन्हें संगीत की दुनिया में स्थान प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ ।
उन्होंने भारतीय संगीत उद्योग में लगभग 40 वर्षों तक अपनी भूमिका निभाई है। उनका संगीत कई भाषाओं में है और उन्होंने हिंदी, उर्दू, पंजाबी, गुजराती, तमिल, तेलगु, मराठी, बांग्ला, भोजपुरी, हरयाणवी आदि गायकी, संगीतकारी और गीतकारी में योगदान किया है।
उधास की प्रसिद्ध गजलें –
“चिठ्ठी आई है” – यह गाना उनके प्रसिद्ध गजलों में से एक है, जो अपने दर्दभरे बोलों और गहरी भावनाओं के लिए प्रसिद्ध है।
– “चुपके चुपके रात दिन” – यह गाना भी उनकी प्रसिद्ध गजलों में से एक है, जिसमें उन्होंने प्यार और विरह के भावों को बयां किया है।
– “आप की याद आती रही” – यह गाना भी उनके अत्यधिक पसंदीदा गीतों में से एक है, जो उनकी अद्वितीय गायकी को दर्शाता है।
– “हमें तुमसे प्यार कितना” – एक अत्यंत रोमांटिक गीत जो प्यार और इश्क के भावों को सुंदरता से व्यक्त करता है।
– “खामोशी की आवाज़ है” – यह गीत गहरे और भावुक भावनाओं को व्यक्त करता है, जो इश्क और विरह की कहानी को सुनाता है।
– “रूकी सूकी ख़यालों के” – एक और गज़ल जो उनकी सुंदर गायकी और भावपूर्ण बोलों के लिए प्रसिद्ध है।
पंकज उधास की गायकी में भावनात्मक गहराई है जो उनके गानों को अत्यंत प्रिय और सांस्कृतिक विरासत के रूप में स्थान देती है। ये गाने और उनकी गजलें उनकी अद्वितीय गायकी और गीतकारी का परिचय देते हैं और उनके श्रोताओं को अपनी शानदार कला का आनंद लेने का मौका देते हैं। फिल्म साजन में उनके द्वारा गया गया गजल जियें तो जियें कैसे बिन आपके भी दर्शकों के दिलों पर राज करता रहा है।
पांच दशक तक संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले पंकज उधास को उनकी बेहतरीन आवाज के लिए कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । उन्हें वर्ष 2006 में पद्मश्री, 2012 में महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, 1985 में एल. एस. गाल पुरस्कार, 2003 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन एकेडमी अवॉर्ड से भी नवाजा गया।
वहीं उनकी मृत्यु पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , गृहमंत्री अमित शाह और देश के तमाम जाने माने हस्तियों ने दुख व्यक्त किया है।