Breaking Newsबाबासाहेब भीमराव अंबेडकर

133वीं जयंती पर याद किए गए संविधान निर्माता बाबासाहेब डॉ. बी. आर. अंबेडकर।

उन्होंने कहा था "मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है" ।

राजीव रंजन की रिपोर्ट –

– उन्होंने अपने जीवन के दौरान भारतीय समाज में विभिन्न समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के लिए प्रयास किए ।
– संविधान निर्माण में है उनका महत्वपूर्ण योगदान ।
– डॉ. अंबेडकर वर्ष 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बने थे ।

डॉ. भीमराव अंबेडकर का जीवन एक उत्कृष्ट और प्रेरणादायक कहानी है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य भारत प्रांत वर्तमान में मध्यप्रदेश के महू नामक गांव में हुआ था। वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो तब अछूत कही जाती थी और इस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ता था । अंबेडकर का शिक्षा में अद्वितीय करियर था, उन्होंने विशेषज्ञता के साथ विभिन्न क्षेत्रों में अध्ययन किया, जैसे कि कानून, अर्थशास्त्र और सामाजिक विज्ञान। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर 9 भाषाओं को जानते थे , इन्होंने देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों से पीएचडी की कई मानक उपाधी प्राप्त की । बाबा साहेब के पास लगभग 32 डिग्रियां थीं । अंबेडकर समाज के लिए कार्यकर्ता के रूप में निरंतर लड़ते रहे और समाज में समानता और न्याय की दिशा में अपना समर्थन देते रहे। उन्होंने दलितों के अधिकारों की रक्षा की, उनके लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान किए, और समाज में उनकी स्थिति में सुधार करने के लिए प्रयास किए। उन्होंने भारतीय संविधान को लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसे न्याय, स्वतंत्रता और समानता की आधारशिला बनाने में मदद की। उनका योगदान भारतीय समाज के इतिहास में अविस्मरणीय है और उन्हें भारतीय जनता द्वारा “बाबासाहेब” के नाम से पुकारा जाता है। भारतीय संविधान के शिल्पकार, आधुनिक भारतीय चिंतक एवं समाज सुधारक बाबासाहेब भीम राव अंबेडकर को सन् 1990 में मरणोपरांत देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।
अंबेडकर ने दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा की और उन्हें समाज में समानता के साथ जोड़ने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने दलितों के लिए शिक्षा और समाज में उनकी स्थिति में सुधार के लिए कई उपाय किए ।

अंबेडकर भारतीय संविधान के प्रमुख लेखक के रूप में अपने योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने भारतीय संविधान समिति के अध्यक्ष के रूप में काम किया और संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आर्थिक और नैतिक सुधार के लिए विभिन्न योजनाएं बनाई, जिनमें श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा और उनकी स्थिति में सुधार शामिल थे।
बाबासाहेब ने वर्ष 1927 में दलित वर्गों की स्थिति को उजागर करने के लिये बहिष्कृत भारत समाचार पत्र का प्रकाशन शुरू किया और 1927 में महाड़ सत्याग्रह का भी नेतृत्त्व किया जो कि महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाड़ में दलितों को सार्वजनिक तालाब से पानी पीने और इस्तेमाल करने का अधिकार दिलाने के लिए किया गया एक प्रभावी सत्याग्रह था। बाबासाहेब ने तीनों गोलमेज़ सम्मेलनों में भाग लिया। वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किया गया। वर्ष 1936 में उन्होंने दलित वर्गों के हितों की रक्षा हेतु इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी का गठन किया। उन्हें वर्ष 1946 में बंगाल से संविधान सभा हेतु चुना गया था । डॉ. अंबेडकर वर्ष 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बने थे लेकिन हिंदू कोड बिल पर मतभेदों को लेकर वर्ष 1951 में उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया।

अंबेडकर का योगदान भारतीय समाज में समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सुधार के क्षेत्र में अद्वितीय रहा है, और उनकी विचारधारा और कार्यक्षेत्र आज भी प्रेरणा के स्रोत हैं।
आज बाबा साहेब अंबेडकर के 133 वीं जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है और आज उनके सम्मान में पूरे भारतवर्ष में कई तरह के आयोजन किया जा रहे हैं ।

वहीं आज इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बाबा साहब की जयंती पर उन्हें नमन किया। नीतीश कुमार ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि भारत रत्न बाबा साहब डॉ० भीमराव अम्बेडकर जी की जयंती के अवसर पर उन्हें सादर नमन। भारतीय संविधान के जनक के रूप में जाने जाने वाले डॉ० अम्बेडकर जी का जीवन समस्त भारतवासियों के लिए प्रेरणास्रोत है।

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