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एनजीटी के आड़ में बालू के बाद ईंट की कालाबजारी को तैयार बिहार सरकार: राजेश राठौड़

एनजीटी के आड़ में बालू के बाद ईंट की कालाबजारी को तैयार बिहार सरकार: राजेश राठौड़

बालू के बाद ईंट को भी आम लोगों की पहुंच से दूर करने को तैयार बिहार सरकार: राजेश राठौड़

बालू-दारू माफिया के बाद ईंट माफिया राज स्थापित करेंगे नीतीश कुमार: राजेश राठौड़

बिहार सरकार के द्वारा मिट्टी से बने लाल ईंट पर प्रतिबंध लगाने को लेकर बिहार कांग्रेस ने राज्य सरकार के इस निर्णय को कठघरे में खड़ा कर दिया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने कहा है कि बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए मिट्टी के बने लाल ईंट पर प्रतिबंध लगाने से राज्य में निर्माण सामग्री में अचानक से ईंटों की कमी आ जायेगी, जिससे फ्लाई ऐश से बनने वाली ईटों की कालाबाजारी पूरी तरह से बढ़ जाएगी। राज्य सरकार के दोषपूर्ण नीतियों के वजह से प्रदेश में निर्माण कार्य आम व्यक्ति के पहुंच से पहले ही दूर हो चुकी है, जैसे बालू की कालाबाजारी नीतीश राज में चरम पर पहुंच चुकी है अब अगर मिट्टी के लाल ईंट के निर्माण पर भी इसी तरह से अव्यवहारिक निर्णय लिया गया तो फ्लाई ऐश ईंट माफियाओं का पूरा नियंत्रण इस क्षेत्र की आपूर्ति में हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए हुए अपनी पूर्व की गलतियों से सबक लिए बगैर यह निर्णय लागू कर रही है। लाल ईंटों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देने से फ्लाई ऐश से बनने वाली ईटों का इस्तेमाल निर्माण कार्य में मजबूरी हो जाएगी जिससे उसके दाम पूरी तरह से अनियंत्रित हो जाएंगे और ये माफियाओं के अधीन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि बाजार में ईटों के खपत का 10% भी आज के दिन में फ्लाइ ऐश ईंट से नहीं पूरा हो पाता है, ऐसे में सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से अव्यवहारिक नजर आ रही है। राज्य में लगभग 30 हजार लाल ईंटों के चिमनी भट्टा होने का अनुमान है। प्रत्येक चिमनी भट्ठा में तकरीबन 200 मजदूर रोजगार पा रहे हैं। ऐसे में सरकार के द्वारा लिए गए प्रतिबंध के निर्णय से लगभग 60 लाख लोगों के समक्ष बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। कोरोना का दंश झेल रहे राज्य में उनकी भुखमरी की नौबत भी आ सकती है।

बिहार प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन राजेश राठौड़ ने सवाल उठाया कि कहीं फ्लाई ऐश ईंट निर्माता माफियाओं के दबाव में सरकार यह निर्णय इतनी हड़बड़ी में ले रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के इशारे पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश में सरकार कमीशनखोरी के लालच में यह निर्णय ले रही है। पूर्व में भी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर प्रदेश के बालू कारोबार को पूरी तरह से चौपट कर दिया गया था जो आज तक सुचारू रूप से संचालित नहीं हो सका है। दूसरी तरफ अब लाल ईंट चिमनियों को अचानक से बंद करने का सरकारी निर्णय व्यापक पैमाने पर बेरोजगारी को बढ़ावा देगा और ईंट के बाजार में माफियागिरी को प्रोत्साहित करेगा। नीतीश कुमार का दारूबंदी के बाद बालू बंदी और अब लाल ईंट बंदी का तुगलकी फरमान को बिहार की आम जनता भोगने को अभिशप्त हो रही है।

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