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दुर्लभ प्रजाति के साँपो के खेल को सँपेरा दिखा रहे खुलेआम, वन विभाग को नही कोई मतलब, कावंरिया डरे सहमे बढ़ते हैं आगे ।

गौरव कुमार की रिपोर्ट

तारापुर,
वैसे तो अंग प्रदेश चारो ओर से प्राकृतिक विविधताओं से घिरा क्षेत्र है। हरेक साल देश विदेश से सैलानी भी यहां घूमने आते है। तारापुर के कुछ ही दूरी पर भीम बांध वन्य प्राणी अभ्यारण्य है तो दूसरी ओर खड़कपुर की पहाड़ी और झील है। इन सबके साथ बसते है यहां दुर्लभ वन्य प्राणी जो प्रतिबंधित और संरक्षित भी है पर इन बातों से लगता है वन विभाग अनभिज्ञ है।वीडियो देख कर लगता तो ऐसा ही है।


विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में कच्ची काँवरिया पथ पर कावंरियों के साथ साथ सँपेरों का भी जत्था देखने को मिल रहा है प्रशासन के मनाही के बाद भी सँपेरिया कच्ची कावंरिया पथ पर निर्भीक होकर दुर्लभ साँपो का खेल दिखा रहे हैं वहीं साँपो को नीचे जमीन पर रख कर बाबाधाम जाते हुए कांवरियों से सांप दिखाकर पैसे की माँग करते हैं और इन सरिसृप को जमीन पर छोड़ने से काँवरिया काफी डरते हुए आगे बढ़ते हैं।

सँपेरों से बातचीत के संदर्भ में उन्होंने बताया कि मेरे पास एक अजगर है जिसकी लंबाई लगभग 10 फिट होगी और इसका वजन तकरीबन 7-8 किलो के आसपास होगा और एक साँप गेहूमन भी है दोनों साँप को दिखाकर कावरियों से कुछ कुछ पैसे मिलते हैं, जिससे अपना जीवन यापन करते हैं। परंतु कच्ची कावंरिया पथ पर कुछ दिन पहले एक कावंरिया को सांप दिखाने के क्रम में सांप ने बाईट कर लिया था जिसके बाद सँपेरों को सांप दिखाना कच्ची कावंरिया पथ पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध कर दिया गया था परंतु श्रावणी मेला में लगाये गये प्रशासन की लापरवाही से सँपेरा बेखोफ होकर दुर्लभ साँपो का खेल दिखाते फिरते हैं और इन बातों से वन विभाग अनभिज्ञ लगता है।

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