28 जनवरी को बिहार बंद को छात्र-युवा समुदाय का व्यापक समर्थन।
◆ 28 जनवरी को बिहार बंद को छात्र-युवा समुदाय का व्यापक समर्थन
◆ बिहार बन्द की तैयारी में आइसा-इनौस ने पटना सहित कई जिलों में निकाला मार्च, हॉस्टल में चला कंपेन
◆ आरआरबी एनटीपीसी के पीटी रिजल्ट में पदों का 20 गुणा संशोधित रिजल्ट और ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा की मांग पर हो रहा बिहार बन्द
◆ दमन, गिरफ्तारी और मुकदमे की वापसी भी है बिहार बन्द की मांग
पटना :- छात्र संगठन आइसा व नौजवान संगठन इनौस के आह्वावान पर 28 जनवरी को आहूत बिहार बन्द की तैयारी में आज राजधानी पटना सहित कई जिलों में अभियान चला. हॉस्टल के साथ-साथ छात्र-युवा नेताओं ने आम लोगों के बीच भी अभियान चलाया और छात्र-युवाओं से सरकार व रेलवे के छल के खिलाफ बन्द को सफल बनाने की अपील की.
इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व अगिआंव विधायक मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व विधायक संदीप सौरभ, इनौस के मानद राज्य अध्यक्ष व विधायक अजीत कुशवाहा, इनौस के राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव, इनौस के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन व आइसा के राज्य सचिव सब्बीर कुमार ने आज फिर से संयुक्त प्रेस बयान जारी करके कहा कि अभ्यर्थियों द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर किसी भी प्रकार का संदेह नहीं है. चरम बेरोजगारी की मार झेल रहे छात्र-युवाओं का यह व्यापक आंदोलन ऐसे वक्त खड़ा हुआ है, जब यूपी में चुनाव है. इसी के दबाव में सरकार व रेलवे का यह प्रस्ताव आया है और चुनाव तक इस मामले को टालने की साजिश रची जा रही है. लेकिन विगत 7 वर्षों से देश के युवा मोदी सरकार के छलावे को ही देखते आए हैं. और यही वजह है कि उनका गुस्सा इस स्तर पर विस्फोटक हुआ है.
एक तरफ जांच कमिटी का झांसा है, तो दूसरी ओर बर्बर तरीके से हर जगह छात्र-युवाओं पर दमन अभियान भी चलाया जा रहा है. इससे सरकार की असली मंशा साफ-साफ जाहिर हो रही है.
छात्र-युवा नेताओं ने पूछा कि स्नातक स्तरीय 35277 पदों के लिए हुई परीक्षा के पीटी रिजल्ट को लेकर उठाए जा रहे सवाल को समझने में रेलवे प्रशसन को क्या दिक्कत है, जो वह जांच कमिटी का झुनझुना थमा रही है. कोई एक अभ्यर्थी एक से अधिक पदों पर सफल हो सकता है, लेकिन वह एक अभ्यर्थी ही है और इसलिए उसकी गिनती एक व्यक्ति के बतौर ही होनी चाहिए न कि अनेक. इस तरह 7 लाख अभ्यर्थियों की जगह सही अर्थों में महज 2 लाख 76 हजार अभ्यर्थियों को ही चयनित किया जा रहा है और 4 लाख 24 हजार अभ्यर्थियों (यानी दो तिहाई) को रोजगार के मौके से ही बाहर कर दिया जा रहा है. आइसा-इनौस नेताओं की मांग है कि रेल मंत्रालय 7 लाख संशोधित रिजल्ट फिर से प्रकाशित करे.
जहां तक ग्रुप डी का मामला है, उसमें परीक्षा स्थगित की गई है. यह समझ से परे है कि ग्रुप डी तक की नौकरियों के लिए दो परीक्षा क्यों होगी? इसमें भी अभ्यर्थियों की साफ मांग है कि पहले के नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा ली जाए और दूसरे नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए. इसमें भी कोई कन्फयूजन नहीं है. रेलवे जानबूझकर मामले को उलझा रहा है. छात्र-युवा इस बार सरकार के झांसे में नहीं आने वाले हैं.
पटना में राज्य अध्यक्ष विकास यादव और नेताओं के नेतृत्व में आज रमना रोड, लालबाग और होस्टलों में कैंपेन हुआ. आरा में जैन कॉलेज,महाराजा कॉलेज,चर्च क्यूज़ ग्रुप,अनाइठ,पकड़ी,जवाहर टोला,गोड़ना रोड,मौलाबाग में अभियान चला. मुजफ्फरपुर में मार्च निकाला गया. छपरा में छपरा कचहरी में कैंपेन हुआ.समस्तीपुर में भी बंद के समर्थन में प्रचार हुआ.
इस बीच कल के बिहार बन्द को अब कई छात्र-युवा संगठनों और राज्य की विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन हासिल हो रहा है।