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जानिए बिहार के ब्यूरोक्रेट्स की क्यों थी नजर उपचुनाव के नतीजो पर? ब्यूरोक्रेट्स नीतीश की किस रणनीति पर रखे हुए है नज़र।

सत्ता का सुख नेताओ के साथ साथ ब्यूरोक्रेट्स भी भोगते है ।

पटना, सत्ता का सुख नेताओ के साथ साथ ब्यूरोक्रेट्स भी भोगते है । यह जगविदित है कि सत्ता की मलाई खाने वाले नेता और उनके समर्थकों के साथ साथ सत्ता के करीबी ब्यूरोक्रेट्स भी राजनीति पर नजर रखते है। जब से राज्य के सर्वेसर्वा नीतीश कुमार ने भाजपा को छोड़कर राजद का दामन थामा है राज्य के नौकरशाह एकदम से सचेत हो गए है । सूत्रों की माने तो सत्ता से जुड़े एवम राज्य के सत्ताधारी दल के चहेते ब्यूरोक्रेटस भी नीतीश की चाल से सकते मे आ गए और अभी वे नीतीश के अगले कदम पर पूरी नजर बनाए हुए है जिससे महकमों के सबसे ऊंचे नौकारशाहो मे बड़ी बैचेनी देखी जा रही है। कुछ दिनों पहले आपने सुना होगा कि राजद मे संगठनात्मक चुनाव कराए गए है। बात यही से शुरू हुई। दिल्ली में 10 अक्टूबर 2022 को आरजेडी के राष्ट्रीय सम्मेलन में लालू यादव बारहवी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। तभी भोला यादव ने पार्टी संविधान में संशोधन का प्रस्ताव रखा। तालियों की गड़गड़ाहट के बीच यह प्रस्ताव पास हो गया। बड़ी ही सधे तरीके से मीडिया को जारी बयान में इसका जिक्र नहीं किया गया। इस संशोधन में राष्ट्रीय जनता का नाम और चुनाव सिंबल बदलने का अधिकार लालू यादव के उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव को सौंप दिया गया। छोटे नेताओं को किसी भी बड़े मुद्दे पर बोलने से मना कर दिया गया। अब इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि 2023 में लालू-नीतीश मिलकर एक नई पार्टी बनाएंगे। जिसमें जेडीयू और आरजेडी एक साथ मिल जाएगी और निशान भी न तो तीर रहेगा, ना ही लालटेन। इधार जदयू के सर्वेसर्वा नीतीश की पार्टी जेडीयू ने सांगठनिक चुनाव की घोषणा भी कर दी है। जिसके बाद इस बात की संभावना भी बढ़ गयी । जेडीयू में सांगठनिक चुनाव कराए जाने की घोषणा कर पार्टी ने संगठनात्मक चुनाव के लिए शेड्यूल भी जारी कर दिया। आने वाले 13 नवंबर से जेडीयू के सांगठनिक चुनाव की शुरुआत हो जाएगी। नवंबर के महीने में ही जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव संपन्न करा लिया जाएगा और राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव दिसंबर में करा लिया जाएगा। 10 और 11 दिसंबर को दिल्ली में जेडीयू का खुला अधिवेशन आयोजित होगा। जिसमे राजद की तरह का ही प्रस्ताव पास होगा और सारा अधिकार नीतीश को दिया जाएगा। इस अधिवेसन मे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा भी की जाएगी। अभी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह हैं, जबकि प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा है। सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार पर JDU को RJD में विलय करने का दबाव है, इसी शर्त पर लालू प्रसाद दोबारा नीतीश कुमार के साथ आने को तैयार हुए और नीतीश कुमार ने भी ये शर्त रखी कि RJD को भी अपना नाम और सिंबल छोड़ना होगा। यानी एक नई पार्टी के साथ दोनों दल 2023 में चुनाव लड़ेंगे। लालू यह चाहते है कि नीतीश बिहार का सत्ता छोड़ कर अब दिल्ली की ओर अपना रूख करें और तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बना दे। दरअसल, नीतीश कुमार के इसी प्लान पर बिहार के नौकरशाह नजर बनाए हुए है। राज्य के नौकरशाह ये मान कर चल रहे हैं कि आनेवाले समय में नीतीश कुमार कुर्सी छोड़ देंगे और अगला मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ही होंगे। उसी हिसाब से राज्य की IAS लॉबी अपनी गोटियां सेट करने में लगी है।

कुणाल भगत

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