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पहली बार सिर्फ बिहार जनमत पर देखे वीडियो : प्रसिद्ध तांत्रिक शक्तिपीठ तिलडीहा में “दही कादो” की पौराणिक परंपरा सम्पन्न।

तिलडहा मंदिर मे दही कादो

गौरव कुमार, तारापुर

-भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा है दही हांड़ी का इतिहास।

अंग क्षेत्र के सुप्रसिद्ध तांत्रिक शक्तिपीठ श्री कृष्ण काली भगवती हरवंशपुर “तिलडीहा” मंदिर में पौराणिक परंपरा के अनुसार प्रत्येक वर्ष जन्माष्टमी के दूसरे दिन नवमी तिथि को दही कादो (दही हांडी) उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। इस विशेष दिन में मौजूद सभी मेढपति व कायस्थ परिवार के समक्ष मंदिर में पुरोहित जयकांत आचार्य एवं श्याम आचार्य द्वारा संयुक्त रूप से बंगला रिति-रिवाज से विधिवत पूजा अर्चना की जाती है, तत्पश्चात भगवान श्री कृष्ण को भजन कीर्तन कर हर्शोल्लास के साथ झूला पर झूलाया जाता है। दही हल्दी का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया जाता है।
गौरतलब है कि माता के इस स्थान में एक ही मेंढ पर मां दुर्गा काली के साथ भगवान कृष्ण भी विराजमान रहते हैं जो पुरे देश मे अद्वितीय है। पूरे देश से श्रद्धालु इस मंदिर मे मुराद मांगने आते है और उनकी मुराद इस मंदिर मे माँ द्वारा तुरंत सुन ली जाती है।

पौराणिक महत्त्वकांक्षाओं के अनुसार आज के ही दिन माता का मेढ़ मंदिर के गर्भगृह से बाहर बरामदे पर किया जाता है,एक प्रकार से देखा जाए तो इस दिन से ही नवरात्र की एक दिव्य झलक आरंभ हो जाती है।


दही कादो उत्सव के दौरान मौके पर मुख्य रूप से मौजूद रहे महेश दास,शंभु दास,कन्हाई दास,श्याम दास, शंकर दास,मदन घोष,राघव दास,दूर्गा घोष, पप्पू घोष,ललन दास,सोनू दास,कमल दास शशांक घोष, विश्वजीत दास मौजूद थे।

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