संग्रामपुर,
मुंगेर, नवदुर्गा के सप्तमी तिथि को माँ काल रात्रि की पूजा होती है और ठीक इसी दिन मुंगेर जिले की अति प्राचीन दुर्गा मंदिर मे भव्य भगवती दुर्गा की शास्त्रोक्त विधि से शक्तिशाली मूर्ति स्थापित की गई। बताया जाता है यह मंदिर मुगलकालीन या उससे से पहले की हैं। इसकी देखभाल राज बन्देली के द्वारा किया जाता था जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तभी राजबन्देली ने इनकी देख रेख यहां के भगत परिवारों को देकर चले गए। बताया जाता है कि यहां पर आकर कई रोगी माता की कृपा से चंगा हो जाते है ,कईयों की किश्मत यहां आकर बदली है।
मूर्ति स्थापित होने से पहले आचार्य गणेश झा द्वारा शास्त्रोक्त विधि से अति प्रभावशाली मंत्रो से पूजा अर्चना करके इस प्रभावशाली मूर्ति को स्थापित कर दिया गया जिसे देखने पूरे जिले से लोग आ रहे है। मूर्ति स्थापित करते वक्त मौके पर मंदिर समिति के सदस्य पूर्व मुखिया प्रमोद भगत, पैक्स अध्यक्ष मनोज भगत, शम्भू भगत, सुनील भगत, प्रेमनीति भगत, अमरनाथ भगत,आमोद भगत, प्रमोद भगत, अमित भगत, प्रभास चौबे, नीलाभ भगत कुश केशरी,अमित केशरी, सन्नी भगत तथा अन्य समाज के लोग उपस्थित थे।
कुणाल भगत
यहां वर्णित तथ्यों की बिहार जनमत पुष्टि नही करता है , यह पूरी तरह से लेखक के निजी बिचार है एवम लोकोक्ति और धार्मिक मान्यताओं पर आधारीय है।