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तमिलनाडु वीडियो वायरल विवाद मामले में जम्मुई से एक युवक गिरफ्तार

पटना :- तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हमले का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर डालने के मामले मुई से अमन नाम के युवक को गिरफ्तार कर लिया गया है। पटना में ADG जेएस गंगवार ने इसकी जानकारी दी है। ADG ने कहा कि अमन ने जो वीडियो पोस्ट किए थे, वो पूरी तरह से फेक थे। उनमें से एक वीडियो सुसाइड का था, जिसे हमले में हत्या का बताया गया था।

ADG जेएस गंगवार ने कहा कि तमिलनाडु मामले में जो वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहे थे, इसे लेकर आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने कार्रवाई की है। मामले में जांच के लिए 10 अधिकारियों की टीम नाई गई है। टीम ने बहुत सारे वीडियो का सत्यापन किया है।

अपलोड किया गया वीडियो फेक और पहले की घटनाओं का था

ADG ने बताया कि इस मामले में अब तक कुल 30 वीडियो पोस्ट और लिंक मिले हैं। इसमें से चार वीडियो और चार न्यूज भ्रामक हैं। पुलिस की ओर से नामजद FIR की गई है। एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। अमन नाम का एक व्यक्ति है, जो जमुई जिले के रहने वाला है। इसके द्वारा जो वीडियो अपलोड किया गया था वह पूरी तरह से गलत और पहले की घटनाओं पर आधारित था।

सुसाइड को बताया था हमले में हुई हत्या अमन ने एक-दो दिन पहले हुई घटनाओं से पुराने as को जोड़कर बनाया था। एक वीडियो उसमें ऐसा था, जिसमें दिखाया जा रहा था कि युवक की हत्या कर दी गई है। उसे मार कर लटका दिया गया है, जबकि यह सुसाइड की घटना थी और इसे हत्या दर्शाया गया। वह तमिलनाडु की ही पुरानी घटना थी, जिसे बिहार के प्रवासी मजदूरों पर हुई घटना के तौर पर बताया गया।

4 लोगों के खिलाफ FIR

इसके अलावा भी तमाम भड़काने वाले पोस्ट किए गए हैं। इस मामले में भी पुलिस ने 4 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज की है। अमन के पास जो मोबाइल मिला है, उसमें तमाम ऐसे पोस्ट और वीडियो मिले हैं, जिससे पता चलता है कि उसके द्वारा ही काफी संख्या में यह वीडियो शेयर किया जा रहा था। 26 अन्य वीडियो लिंक की जांच की जा रही है।इसमें एक और अभियुक्त है जिसके खिलाफ आर्थिक अपराध इकाई कार्रवाई कर रही है। वह फिलहाल फरार चल रहा है।

जारी किया गया है प्रिजर्वेशन नोटिस

कुल मिलाकर फेसबुक पर 9 पोस्ट, ट्विटर पर 15 पोस्ट, यूट्यूब पर 15 पोस्ट मिले हैं। हम लोगों के द्वारा जी-मेल पर तीन ऐसे वीडियो मिले हैं, जिसको लेकर प्रिजर्वेशन नोटिस जारी किया गया है। इसमें सर्विस प्रोवाइडर से यह कहा जाता है कि जो भी लिंक आपके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए हैं, उसे आप 3 महीने तक प्रिजर्व करके रखें। जिससे कि पुलिस को साक्ष्य मिल सकें। ऐसा ना हो कि कोई डिलीट कर दे। इस तरीके से यह पता चलता है कि इस वीडियो को जानबझकर इन

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