Breaking Newsदेशपटनाबिहार

बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने राज्य स्तरीय गन्ना किसान संगोष्ठी का उद्घाटन किया, इस अवसर पर कृषि मंत्री एवं गन्ना उद्योग मंत्री भी रहे साथ।

बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने राज्य स्तरीय गन्ना किसान संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री एवं गन्ना उद्योग मंत्री भी रहे साथ।

स्थानीय बामेती परिसर में आयोजित राज्यस्तरीय गन्ना किसान संगोष्ठी का उद्घाटन बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने किया। इस मौके पर संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि गन्ना की खेती एवं उसपर आधारित चीनी उद्योग एक दूसरे के पूरक हैं। आधुनिक तकनीक से गन्ना की खेती को प्रोत्साहित करने, गन्ना किसानों को उनके उत्पादन का बेहतर मूल्य दिलाने एवं समय पर भुगतान से किसानों के जीवन में खुशहाली और समृद्धि आएगी। गन्ना उद्योग विभाग इस दिशा में बेहतर प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कि पेराई सत्र में 2021-22 में गन्ना किसानों द्वारा आपूर्ति किए गए गन्ने का मूल्य का 92 प्रतिशत राशि का भुगतान चीनी मिल प्रबंधन द्वारा किया गया है। इस सत्र के लिए उत्तम एवं सामान्य प्रभेद के गन्ने पर 20 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बढ़ोतरी की गई है तथा निम्न प्रभेद पर भी 13 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है, जो सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि गन्ना उद्योग विभाग और कृषि विभाग के संयुक्त प्रयास से कृषकों को कम लागत पर अधिक आय एवं उत्पादन प्राप्त करने में संबलता प्रदान करने हेतु गन्ना के साथ अन्य फसलों की अंतरवर्ती खेती हेतु योजना चलाई जा रही है। गुड आधारित उद्योगों की स्थापना हेतु नई गुड प्रोत्साहन नीति तैयार करने की दिशा में विभाग सतत् प्रयत्नशील है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार सरकार ने कृषि रोडमैप के माध्यम से संबंधित विभागों को जोड़कर किसानों के लिए हितकारी विभिन्न योजनाओं को संचालित किया है। अभी हाल ही में कृषि रोड मैप की अवधि विस्तार की कैबिनेट ने मंजूरी दी है, जो सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि गन्ना उत्पादन में सहायक आधुनिक संयंत्रों को कृषि यांत्रिकरण योजना में शामिल करने हेतु कृषि विभाग आवश्यक कदम उठाएगा।
उन्होंने कहा कि गन्ना की खेती और चीनी उद्योग को लाभकारी बनाने हेतु इसके बाई-प्रोडक्ट के समुचित उपयोग के प्रयास किए जाएंगे। चीनी बनाने के सिलसिले में बाई-प्रोडक्ट के रूप में हमें गन्ने की सिठ्ठी और छोआ प्राप्त होता है। इस बाई-प्रोडक्ट के समुचित उपयोग से इसे लाभकारी बनाया जा सकता है। अभी गन्ना की सिठ्ठी का उपयोग आम तौर पर जलाने के काम में होता है, जबकि इससे कागज बनाया जा सकता है। छोआ से अल्कोहल और खाद प्राप्त की जा सकती है। साथ ही, मवेशियों को खिलाने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि गन्ना से हम इथेनॉल का उत्पादन कर सकते हैं। बिहार सरकार ने वर्ष 2006 में ही तत्कालीन केंद्र सरकार के पास गन्ना से इथेनॉल बनाने का प्रस्ताव भेजा था, परंतु उसे अस्वीकृत कर दिया गया, परंतु अब रास्ता साफ हो गया है। बिहार में बड़े पैमाने पर इथेनॉल उत्पादन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। 17 इथेनॉल उत्पादन इकाइयों को स्वीकृति मिली है। इससे गन्ना का उत्पादन बढ़ेगा, गन्ना किसानों को उत्पादन का बेहतर मूल्य मिल सकेगा तथा रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
इस अवसर पर कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह, गन्ना उद्योग एवं विधि मंत्री प्रमोद कुमार ने विस्तार से अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए। इस मौके पर कृषि सचिव डॉ० एन० सरवण कुमार, ईखायुक्त गिरिवर दयाल सिंह, अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशक बैद्यनाथ यादव, संयुक्त ईखायुक्त जयप्रकाश नारायण सिंह, संयुक्त ईखायुक्त ओंकार नाथ सिंह, बामेती के निदेशक डॉ० जितेंद्र प्रसाद, राष्ट्रीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के निदेशक ए.के. सिंह सहित लखनऊ, कोयम्बटूर एवं देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए गन्ना अनुसंधान में लगे वैज्ञानिक, बिहार के विभिन्न जिलों से आए कृषक बंधु एवं विभागीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *