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क्या बनेंगे प्रशांत किशोर? पुष्पम प्रिया जैसी पार्टी बनकर रह जाएंगे या खिलाएंगे कुछ गुल, पढिये विश्लेषण।

पटना, कहा जाता है बिहार के हरेक घर में एक राजनीतिज्ञ और आईपीएस का जन्म होता है और इस परिस्थिति मे बिहार मे बदलाव करना बेहद मुश्किल हो जाता है पर कुछ लोग इतिहास याद कर जानते है कि बिहार ही बदलाव का वाहक रहा है चाहे महात्मा द्वारा निल आंदोलन हो या जयप्रकाश नारायण द्वारा सम्पूर्ण आंदोलन हो । जी हाँ हम बात कर रहे है प्रशांत किशोर की ये वही किशोर है जो कभी मोदी को मार्गदर्शन दिया करते थे।
आज जब उन्होंने प्रेस कॉन्फेंस किया तो साफ लगा कि प्रशांत किशोर कोई कच्चे खिलाड़ी नही है क्योंकि वे जानते है कि बिहार मे रणनीति काम नही आएगी क्योकि यहाँ हरेक नागरिक खून से राजनीति से जुड़ा है वे जानते है कि अन्य राज्यो की अपेक्षा बिहार की जनता अंदरखाते तक हिसाब रखती है यानी बिना जमीनी काम किये आप यहां कोई राजनीति नही कर सकते क्योकि पुष्पम प्रिया की पार्टी का हाल देश देख चुका है।
आज जब प्रशांत प्रेस को संबोधित कर रहे थे तभी लग गया कि प्रशांत किशोर बिहार की नब्ज जानते है और अभी अपनी पार्टी लॉन्च करने मे समय लेंगे।
प्रशांत किशोर ने प्रेस को कहा कि मैं कोई राजनीतिक पार्टी बनाने नहीं जा रहा हूं लेकिन मैं 17 हजार लोगों से वार्ता करूंगा, अगर इस स्थिति में सभी लोग पार्टी बनाने के लिए तैयार होते हैं तो ही पार्टी बनाने पर विचार किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि वह पार्टी सिर्फ मेरी नहीं होगी बल्कि उन सभी लोगों की होगी जो इसमें योगदान देंगे। प्रशांत किशोर ने कहा कि 2 अक्तूबर से पश्चिमी चंपारण से 3,000 किलोमीटर की ‘पदयात्रा’ की करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में फिलहाल चुनाव नहीं इसलिए इसलिए पार्टी बनाने पर कोई बात नहीं होगी। मैं अगले चार साल तक बिहार के लोगों तक पहुंच बनाऊंगा। उन्हीने आगे कहा कि वे जन सुराज के लिए गांव-देहात जाएंगे और सभी लोगो से संपर्क करेंगे। उन्होंने नीतीश और लालू दिनों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार आज 30 साल के लालू और नीतीश के राज के बाद भी देश का सबसे पिछड़ा और गरीब राज्य है। विकास के कई मानकों पर बिहार आज भी देश के सबसे निचले पायदान पर है। बिहार अगर आने वाले समय में अग्रणी राज्यों की सूची में आना चाहता है तो इसके लिए नई सोच और नए प्रयास की जरूरत है। उन्हीने कहा कि जिस रास्ते पर नीतीश बिहार को ले जा रहे है वो कभी बिहार को विकसित राज्य नही बना सकता। उन्होबे कहा कि उनकी टीम ने 17 हजार लोगों को चिन्हित किया है, जिनसे वे मिलेंगें। आगे जन-सुराज (गुड गवर्नेंस) की जो सोच है उसको जमीन पर लाने पर बात होगी। पिछले तीन दिनों में 150 लोगों के साथ बैठक भी कर चुका हूं।
उन्होंने कहा कि कई लोगों का मानना है कि बिहार में केवल जाति के आधार पर वोट मिलता है। मैं जाति नहीं बल्कि समाज के सभी लोगों को जोड़ने की कोशिश कर रहा हूं। मैं कोरोना के खत्म होने का इंतजार कर रहा था ताकि किसी नई योजना पर काम कर सकूं।

बहरहाल चाहे जो भी हो प्रशांत किशोर के इस कदम से जरूर बिहार में सभी राजनीतिक पार्टियों के कान खड़े गए है।

कुणाल भगत

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