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योग, अध्यात्म एवम धार्मिक पुस्तकों के प्रति बढ़ते रुझान को दिखाता है,पुस्तक मेले के स्टॉल पर लगी भीड़।
पुस्तक मेले में परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में योग प्रकाशन ट्रस्ट बिहार द्वारा योग परंपरा की पुस्तकों का प्रदर्शन किया गया था।
दिल्ली :- दिल्ली पुस्तक मेले का आज अंतिम दिन है। मेले में सभी आयु वर्ग के लोगो की भारी भीड़ यह दर्शाता है कि इंटरनेट के जमाने में भी पुस्तकों के प्रति कोई रुझान कम नही हुआ है। सबसे चौकाने वाली बात इस पुस्तक मेले में देखने को मिली कि योग, आध्यात्म और धार्मिक बुक स्टॉल पर सभी आयु वर्ग के लोगो की भारी भीड़ जुटी। ऐसा लग रहा था कि किताब लेने वालो की लंबी लाइनें लगी हो। बिहार के मुंगेर योग विद्यालय के योग पब्लिकेशन ट्रस्ट का भी स्टॉल पहली बार पुस्तक मेले में देखने को मिला।
वहा भी आयोजको को स्टॉल पर आने वाले लोगो से फुर्सत नहीं मिल पा रही थी। यह पहली दफा है कि बिहार योग विधालय मुंगेर ने अपनी पुस्तकों को विश्व पुस्तक मेले में प्रदर्शित किया है। आयोजको से जब बिहार जनमत के पत्रकार ने इसका मकसद जानना चाहा तो उन्होंने बताया कि पुस्तक मेले में परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में योग प्रकाशन ट्रस्ट बिहार द्वारा योग परंपरा की पुस्तकों का प्रदर्शन किया जा रहा है एवम इसका मकसद दुनिया में हर किसी को योग पर उपलब्ध समृद्ध और सबसे प्रामाणिक किताबों से लाभान्वित करना-कराना है। अभी तक योग की 300 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन परम गुरु स्वामी सत्यानंद सरस्वती जी एवम उनके शिष्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती जी के मार्गदर्शन में हो चुका है।
विश्व प्रसिद्ध योग विद्यालय के योग पब्लिकेशन ट्रस्ट के पास योग का सबसे प्रामाणिक और अच्छी तरह से रिसर्च किया हुआ साहित्य उपलब्ध है। विश्व के हरेक योग के उच्च शिक्षण संस्थानों में बिहार योग विद्यालय मुंगेर द्वारा प्रकाशित पुस्तकें ही प्रमाणिक मानी जाती है। वही उसी हॉल में बगल में लगे गीता प्रेस, गायत्री परिवार एवम कई नामचीन धार्मिक प्रकाशकों के बुक स्टॉल भी लगे हुए थे, जिनपर भी सभी आयु वर्ग के लोगो की भारी भीड़ देखने को मिल रही थी। ऐसा लगता है नई पीढ़ी में भी धर्म,योग एवम आध्यात्म के प्रति रुचि कम नहीं हुई है।
कुणाल भगत