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माहशिवरात्रि स्पेशल -आईए देवघरा पहाड़, जहां शिवलिंग पर रखा बेलपत्र खाने मात्र से ही कुष्ठ रोग से मिल जाती है मुक्ति।

महाशिवरात्रि के अवसर पर आज हम आपको ऐसे शिवलिंग के बारे मे बताने जा रहे है जिसके बारे मे मान्यता है कि इस महाभारत कालीन शिवलिंग के ऊपर रखे बेलपत्र खाने भर से कुष्ट रोग से निजात मिल जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार अर्जुन द्वारा किये गए तपस्या से खुश होकर शिव ने गांडीव प्रदान किया और वही आपरूपी शिवलिंग प्रकट हुआ नीचे शिवगंगा भी उसी के प्रभाव से प्रकट हुआ जिसके पास समी वृक्ष भी है जिसपे गांडीव को रखा गया था। ऐसी मान्यता है कि शिव के प्रभाव से अगर कोई यहां आकर शिवगंगा मे नहाकर यहाँ की मिट्टी भाल पर लगाकर शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ बिल्वपत्र प्रसाद रूपमें ग्रहण करता है तो उसके कुष्ट जैसे गंभीर रोग भी खत्म हो जाते है।
बाबा उच्चैश्वर नाथ महादेव के बारे मे लोग बताते है कि महाभारत मे जब पांडवों को अज्ञातवास मिला था तो वे लोग यही आकर कुछ दिनों तक निवास किये थे और ऊंची निर्जन चोटी पर तपस्या भी करते थे और पास मे भीम बांध के बारे मे भी लोग कहते है कि भीम ने ही जाड़े में गर्म पानी के लिए बांध बनवाया था।


अंग प्रदेश की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धरोहर देव घरा पहाड़ अपने गौरवपूर्ण अतीत के कारण सदैव चर्चित रहा है। इसी पहाड़ की चोटी पर देवाधिदेव बाबा उच्चैश्वर नाथ का मंदिर अवस्थित है ,जो धरातल से लगभग 1000 फीट की ऊंचाई पर है। बाबा उच्चैश्वर नाथ महादेव गुफा नुमा मंदिर में विराजमान हैं। पर्वत श्रृंखला एवं हरे-भरे वृक्षों से प्रकृति के सुंदर एवं मनोहारी दृश्य देखने को मिलता है। सुल्तानगंज से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर टेटिया बंबर प्रखंड अंतर्गत संग्रामपुर गंगटा मुख्य मार्ग पर बाबा उच्चैश्वर नाथ महादेव के बारे में महाभारत एवं श्रीमद् भागवत गीता में चर्चा है कि इसी सिद्ध पीठ पर अर्जुन ने तपस्या कर देवाधिदेव महादेव को प्रसन्न कर उनसे गांडीव प्राप्त किया था। उच्चैश्वर नाथ महादेव ने उच्च श्रेणी का गांडीव विद्या मिला, उसी दिन से इस महादेव का नाम उच्च नाथ महादेव एवं देव नगर का नाम देवघरा पड़ा। कालांतर में श्रद्धालुओं ने उच्चैश्वर नाथ महादेव के नाम से पुकारना प्रारंभ कर दिया। उच्चैश्वर नाथ पहाड़ के नीचे शिवगंगा है। यहां आज भी राज्य के कोने-कोने से आए श्रद्धालु शिव गंगा में स्नान कर एवं उसकी मिट्टी अपने ललाट पर लगाकर धन्य होते हैं। देवघरा पहाड़ अंग प्रदेश का वह पावन स्थल है जहां गौतम, कणाद , बहुल आश्रम, आयामी एवं विजय राज जनक के साथ ही कई महापुरुषों ने भी तपस्या कर देवाधि देव महादेव उच्चैश्वर नाथ से वरदान प्राप्त किया था। बहरहाल यहां पाए जाने वाले अवशेष के संबंध में शोध की जरूरत है, जो इस क्षेत्र को इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान दिला सकता है। इस पौराणिक स्थलों के उपेक्षित रहने से इसका समुचित विकास संभव नहीं हो पाया। जबकि लोगों के कथा अनुसार देवघर के बाद देवघरा आज महत्वपूर्ण स्थान है, फिर भी इसके विकास पर ध्यान नहीं दिया गया। और ना ही सरकार द्वारा इसे पर्यटक स्थल का दर्जा ही दिया।

शशि कुमार सुमन एवम कुणाल भगत

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