हिंदी पत्रकारिता दिवस” – हिंदी पत्रकारिता का साहसिक सफर
आज ही के दिन वर्ष 1826 में, पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने हिंदी का पहला अखबार "उदन्त मार्तण्ड" का प्रकाशन शुरू किया था।

राजीव रंजन की रिपोर्ट –
हिंदी पत्रकारिता दिवस प्रतेक वर्ष 30 मई को मनाया जाता है। इस दिन का महत्व इसलिए है क्योंकि इसी दिन वर्ष 1826 में, पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने हिंदी का पहला अखबार “उदन्त मार्तण्ड” (उदित होते सूर्य) का प्रकाशन शुरू किया था। यह अखबार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और समाज सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पहला हिंदी भाषा का समाचार पत्र था। प्रकाशक होने के साथ- साथ पंडित जुगल किशोर शुक्ल इसके संपादक भी थे। श्री शुक्ल कानपुर के वकील थे उन्होंने उस समय परतंत्र भारत की राजधानी कलकत्ता को अपना कर्मस्थली बनाया और विशेषकर ऐसे समय में अखबार का प्रकाशन किया जब हिंदी भाषियों को अपनी भाषा के अखबार की आवश्यकता महसूस हो रही थी। उदन्त मार्तण्ड एक साप्ताहिक अखबार था जो हर हफ्ते के मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था।
उदन्त मार्तण्ड” का पहला अंक 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ , पंडित जुगल किशोर शुक्ल द्वारा इस पत्र को प्रकाशित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य था की हिंदी भाषी जनता तक सूचना और समाचार पहुँचाया जाए। उदन्त मार्तण्ड ने न केवल समाचारों का प्रसारण किया बल्कि समाज सुधार, शिक्षा और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े मुद्दों को भी उजागर किया। इस पत्र ने भारतीय जनता में जागरूकता फैलाने का काम किया और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई।
हालांकि अखबार के शुरू होते ही कई सारी चुनौतियां सामने आने लग गई । बंगाल राज्य में हिंदी भाषी पाठकों की कमी और अन्य हिंदी भाषी राज्यों से दूरी के कारण डाक द्वारा अखबारों को भेजना (जो आर्थिक दृष्टिकोण से हितकारी नहीं था) ,पर्याप्त विज्ञापन और सब्सक्रिप्शन की कमी आदि समस्याओं के कारण 4 दिसम्बर 1826 को इसे बंद करना पड़ा। उदन्त मार्तण्ड के डेढ साल में कुल 79 अंक प्रकाशित हुए। हालांकि, इसकी ऐतिहासिक भूमिका महत्वपूर्ण रही, क्योंकि इसने हिंदी पत्रकारिता की नींव रखी। प्रकाशन बंद होने के पहले “उदन्त मार्तण्ड” ने हिंदी पत्रकारिता के सूर्य को उदित कर दिया था।
जिसके बाद हिंदी पत्रकारिता ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। “गणेश शंकर विद्यार्थी” द्वारा प्रकाशित “प्रताप” जैसे समाचार पत्रों ने जनता को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जागरूक किया और स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूत किया। माखनलाल चतुर्वेदी जी ने “कर्मवीर” पत्रिका के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाया।
हिंदी पत्रकारिता दिवस के दिन हिंदी पत्रकारिता के पुरोधाओं को स्मरण किया जाता है और उनके योगदान का सम्मान किया जाता है। हिंदी पत्रकारिता दिवस उन सभी व्यक्तियों और संस्थानों को प्रेरणा देने का दिन है, जो हिंदी भाषा में निष्पक्ष और तथ्यात्मक समाचारों के प्रसारण और प्रकाशन के लिए समर्पित हैं। यह दिन हमें हिंदी भाषा के महत्व और उसकी पत्रकारिता की धरोहर को याद दिलाता है।
आधुनिक हिंदी पत्रकारिता की बात की जाए तो ऐसे कई सारे हिंदी समाचार पत्र हैं जो व्यापक कवरेज प्रदान करते हैं। हिंदी पत्रकारिता ने डिजिटल युग में भी अपनी जगह बना ली है, वर्तमान में हिंदी न्यूज़ वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बड़ी मात्रा में सामग्री उपलब्ध है। हिंदी ब्लॉगिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर स्वतंत्र पत्रकारों और लेखकों की सक्रियता बढ़ी है, जो महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और जनता को जागरूक करते हैं। हिंदी पत्रकारिता का दायरा लगातार बढ़ रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों तक भी इसकी पहुंच बढ़ रही है। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से नवाचार और विस्तार के नए अवसर भी मिल रहे हैं।