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बिहार बंद के बाद अब आइसा–इनौस पूरे बिहार में चलाएगा ‘रेलवे भर्ती आंदोलन’

संवाददाता सम्मेलन से जारी प्रेस रिलीज

बिहार बंद के बाद अब आइसा–इनौस पूरे बिहार में चलाएगा ‘रेलवे भर्ती आंदोलन’

  • रेल मंत्री को संबोधित 6 सूत्री मांगों का ज्ञापन बिहार के सभी सांसदों-केंद्रीय मंत्रियों को सौंपा जाएगा, पहले चलेगा हस्ताक्षर अभियान*

मांगे पूरी होने की घोषणा नहीं होने पर 5 मार्च को सभी रेलवे स्टेशन परिसरों में होगा विराट धरना, बढ़ेंगे भारत बंद की ओर

बिहार के प्रतियोगी परीक्षार्थियों से संवाद के लिए आइसा – इनौस के नेताओं का पूरे राज्य में होगा दौरा

माँगे

  1. RRB– NTPC के PT रिजल्ट में पदों का 20 गुणा संशोधित रिजल्ट जारी हो

2 ग्रुप डी में केवल एक परीक्षा के पुराने नोटिफिकेशन पर अमल हो

  1. रेलवे की खत्म की गई नौकरियों समेत सभी रिक्त पदों पर बहाली घोषित हो
  2. आंदोलनकारी छात्रों पर दर्ज मुकदमें वापस हो
  3. रेलवे भर्ती का कैलेंडर जारी करो
  4. रेलवे का निजीकरण बंद करो

पटना :- RRB-NTPC में संशोधित 7 लाख रिजल्ट, ग्रुप D में पुराने नोटिफिकेशन के आधार पर एक ही परीक्षा आयोजित करने और आंदोलनकारी छात्रों पर से सभी मुकदमे वापस लेने की मांग पर आइसा-इनौस द्वारा 28 जनवरी को आहूत बिहार बन्द के पक्ष में मिले व्यापक समर्थन ने सत्ता के सभी तिकड़मों को फेल कर दिया, जो मामले को उलझाने व टालने में लगी हुई है.

आज पटना में दोनों संगठनों के राज्यस्तरीय टीम की बैठक हुई और बैठक से तय किए गए आगे के आंदोलनात्मक निर्णयों के आलोक में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया गया. संवादददाता सम्मेलन में इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व विधायक संदीप सौरभ, इनौस के राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, इनौस के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन , आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार व आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव उपस्थित थे.

छात्र-युवा नेताओं ने कहा कि सरकार यह भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है कि आंदोलनकारियों की मांगें मान ली गई हैं. लेकिन मामला अब RRB-NTPC की परीक्षा में 7 लाख संशोधित रिजल्ट और ग्रुप D में पुराने नोटिफिकेशन के आधार पर केवल एक परीक्षा का नहीं रह गया है, बल्कि रेलवे के निजीकरण के जरिए मोदी सरकार द्वारा रोजगार के अवसरों पर लगातार किए जा रहे हमले का भी बन चुका है. किसी भी परीक्षा की प्रक्रिया 5-7 वर्षों से पहले पूरी नहीं होती. इस बीच छात्र-युवाओं को बेहद मानसिक पीड़ा से गुजरनी पड़ती है. बेरोजगारी का आलम यह है कि ग्रुप D तक की परीक्षा में भारी भीड़ है. छात्र-युवाओं के आक्रोश का विस्फोट सरकार की इन्हीं नीतियों की वजह से हुआ. विगत 7 सालों में उन्हें केवल धोखा मिला है.

अतः पहली दो मांगों के साथ रेलवे की खत्म की गई नौकरियों सहित सभी रिक्त पदों पर अविलम्ब बहाली, रेलवे के निजीकरण पर रोक, रेलवे के द्वारा भर्ती कैलेंडर जारी करने और आंदोलनकारियों पर से सभी मुकदमे वापस करने का मुद्दा भी अब इस आंदोलन में जुड़ गए हैं.

इन 6 सूत्री मांगों पर देश के रेल मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, सरकार पर दवाब बनाने के लिए बिहार के सभी सांसदों व केंद्रीय मंत्रियों को भी यह ज्ञापन सौंपा जाएगा. वे इस मसले को संसद के अंदर उठाएं और सरकार पर दवाब बनाएं. यह अभियान ’रेलवे भर्ती आंदोलन’ के नाम से चलेगा.

यदि 4 मार्च तक इन 6 सूत्री मांगों पर कार्रवाई नहीं होती तो 5 मार्च को सभी रेलवे परिसर में विशाल धरना दिया जाएगा और भारत बंद की ओर बढ़ा जाएगा।

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