समाज
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” समाज के विरासत का अभिन्न अंग है साहित्य “
साहित्यस्य सर्वेषां चित्तं निगूढं स्थितं। तस्मात् सर्वान् प्रियान् पुंसां साहित्यं प्रियमात्मनः॥ अर्थात साहित्य के माध्यम से मनुष्य की भावनाओं, विचारों…
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साहित्यस्य सर्वेषां चित्तं निगूढं स्थितं। तस्मात् सर्वान् प्रियान् पुंसां साहित्यं प्रियमात्मनः॥ अर्थात साहित्य के माध्यम से मनुष्य की भावनाओं, विचारों…
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