पटनाबिहारराजनीति

जदयू प्रवक्ता के बयान पर राजद की तीखी प्रतिक्रिया

जदयू प्रवक्ता के बयान पर राजद की तीखी प्रतिक्रिया

पटना : राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने
बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के सवाल पर जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार द्वारा दिए गए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि कुछ बोलने के पहले कम से कम बिहार विधानसभा और संसद की कार्यवाहियों का अध्ययन कर लेना चाहिए था। या अपने नेता से जानकारी ले लेना चाहिए था। जिस अज्ञानतापूर्ण बयान उनके द्वारा दिया गया है यैसा बयान तो कोई मानसिक रूप से दिवालिया व्यक्ती हीं दे सकता है।
राजद प्रवक्ता ने जदयू प्रवक्ता को याद दिलाते हुए कहा कि नीतीश जी ने कहा था कि जो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देगा हम उसी के साथ जायेंगे । तो फिर उनके शर्त का क्या हुआ ? इसका जवाब तो वे ही देंगे। राजद प्रवक्ता ने बताया कि ” बिहार पुनर्गठन कानून 2000 ” में हीं स्पष्ट प्रावधान है कि बिहार की क्षति-पूर्ति के लिए विशेष प्रबंध किये जायेंगे। जदयू प्रवक्ता को बताना चाहिए कि उस समय केन्द्र में किसकी सरकार थी और केंद्रीय मंत्रिमंडल मे उस समय बिहार के कौन-कौन मंत्री थे ।जबकि उसी क्रम में उतराखण्ड और छत्तीसगढ के गठन सम्बन्धी कानूनों में यैसा कोई प्रावधान नहीं है।इसके बावजूद उन्हें विशेष राज्य का दर्जा दिया गया।
राजद प्रवक्ता ने बताया कि झारखंड राज्य के औपचारिक गठन के पूर्व हीं 25 अप्रैल 2000 को हीं बिहार को बँटवारे से होने वाली क्षति-पूर्ति की भरपाई करने के लिए बिहार विधानसभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा गया था। झारखंड राज्य के औपचारिक रूप से बिहार से अलग होने के बाद 28 नवम्बर 2000 को बिहार के सभी सांसदों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन देकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग की थी। प्रधानमंत्री जी द्वारा विस्तृत प्रतिवेदन तैयार करने के लिए तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री नीतीश कुमार जी के संयोजकत्व में एक कमिटी का गठन कर दिया गया । पर कमिटी की कभी बैठक हीं नही बुलाई गई। 3 फरवरी 2002 को को दीघा सोनपुर पुल के शिलान्यास के अवसर पर पटना के गांधी मैदान मे आयोजित सभा में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के समक्ष हजारों बिहारवासियों के उपस्थिती में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीमती राबड़ी देवी जी द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग दुहराई गई। जिस पर प्रधानमंत्री जी ने तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार जी की उपस्थिती में माँग को वाजिब करार देते हुए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया था। पर दिल्ली लौटने के क्रम में हवाई अड्डा पहुँचते हीं प्रधानमंत्री जी विशेष राज्य का दर्जा के बजाय विशेष पैकेज की बात करने लगे। पुनः राजद सरकार द्वारा हीं 2 अप्रैल 2002 को बिहार विधान सभा से सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित कर केन्द्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग दुहराई गई। 16 मई 2002 को राजद के नोटिस पर नियम 193 के तहत लोकसभा में चर्चा हुई , सभी दलों ने बिहार का पक्ष लिया पर पुरे चर्चा के दौरान नीतीश जी अनुपस्थित रहे।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य की दर्जे की माँग को जदयू ने अपना राजनीतिक एजेंडा बना लिया है और जब-जब उसकी राजनीति फंसती है तो वे इसका इस्तेमाल करते हैं । उन्होंने कहा कि इस मसले को भाजपा और जदयू के बीच हीं रहने दें तो बेहतर है , राजद को यदि बीच में लाने का दुस्साहस किया तो वे जबाव नहीं दे पायेगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *